नवदुर्गा स्त्री तुम दुर्गा स्त्री तुम काली मनमोहिनी मंडावली नौ रूप तुमने धरे नौ अवतार में हैं बसे परस्पर ढूँढ रहा शिव त्रिशूल प्रहार को खंड खंड हो रहा कस्तूरबा का मान जो शैलपुत्री बन खड़ी वार वार हो रहा हिम खंड सी नार वो कर कलम शीश स्वयं धर दिया चौखट पर ब्रह्म में विलीन हुई वल्लठको पूर्ण कर अनुत्तमा नार वो ब्रह्मचारिणी मेवाड़ की हाड़ीरानी सलूँबर की राज पाट तज कर चंद्रघंटा - मैत्रेयी ज्ञान की खोज में चरण रज सुहाग की प...
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