तुम्हारी राधा 💕

 तुम्हारी राधा 



तुम संगीत तो तुम्हारी सरगम बन जाऊँ ,

पाजेब की रुनझुन सा माधुर्य बिखेरूँ ,

आल्हा ऊदल के प्रेम गीत प्रतिपल दोहराऊँ 

तुम कहो तो सही , तुम्हारी राधा बन जाऊँ ।।


बंसी को तुम्हारे अधरों से जैसे मिली प्रीत 

कोमल अधरों से तुम बस एक बार पुकारो ,

हर जनम में तुम्हारी भाषा बन जाऊँ 

कहो तो सही तुम्हारी राधा बन जाऊँ ।।


जिस चाक पर बैठाओ , वैसी ही ढल जाऊँ 

कहो तो माखन गगरी सी तुममें समाँ जाऊँ ,

या पत्थर बन तुम्हारा आसन कहलाऊँ 

तुम कहो तो सही तुम्हारी राधा बन जाऊँ ।।


राधा बही उलट करधारा बन गयी 

जमुना के तीर पर कृष्णमय हो 

जड़ जड़वत हुईअनश्वर उद्वेलित लहरों सी 

तुम्हारी राधा बन जल तरंग सी खिल गयी ।। 


कलम तुमलेखनी मैं तुम्हारी बन जाऊँ 

आत्मा की स्याही से बस एक बार 

लिख दो , राधा कृष्ण 

तृष्णा तृप्त हुई , सहचरी बन जाऊँ 

तुम कहो तो सही तुम्हारी राधा बन जाऊँ ।।


नैनों में सुरमे सी शीतलता हूँ 

चाशनी सी घुल गयी तुममें

अटखेलियों करते तुम गोपियों संग 

तुम्हारा पतझड़ सा प्रेम , प्रिय !!


कौमुदी खिल खिल जाए 

मृगांक नेह बरसाएजब 

कृष्ण की राधा .... और 

राधा के कृष्ण कहलायें ।।


रक्त कपोल चंचल चितवन 

मुग्ध मगन तुम पर वारी जाऊँ 

तुम कहो तो सही, बस एक बार 

तुम्हारी राधा बन जाऊँ ..........


मंजरी💕





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