बस यूँ ही ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰बेबाक़ कलम से!!!!🖋✍️
Bebaki
बेबाक़ी हमें भी आती है , पर
किसी का दिल दुखाना,
आदत में शुमार नहीं ।।
किसी रोज़ तुमने कहा था ,
मेरी साफ़गोई मेरी ताक़त है ।
जानते हो,
कमजोर तो आदतें बनाती हैं ।
बातें तो बस चुभ ज़ाती हैं ।।
तुम्हारी बेबाक़ी उस हद्द तक वाजिब है,
जब तक बीच में तीसरा ना हो ।
गुंजाइश इतनी सी मंज़ूर है, कि
दिल मेरा, बाक़ी सब उसका हो !!!
ख़ुदा 🙏
कोई खुद को ख़ुदा कहता है
किसी में ख़ुदा मौज़ूद है
हम तो उस ख़ुदा क़े बंदे हैं
जिसपर सब बदा है ।।
मसरूफ़ियत !!!
मसरूफ़ियत बड़ी बेईमान होती है
जो हिस्सा जितना हक़ जमाए,
उतनी उसकी हो ज़ाती है ।।
ज़िंदगी
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